*17 सितंबर भगवान श्री विश्वकर्मा पूजा दिवस*
*शिल्पकला एवं विज्ञान के प्रवर्तक ऋषि विश्वकर्मा*
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'देव मानो तो उन्हीं कारीगरों को मानो जिन शिल्पियों ने मंदिर बनाया है।'
*- सत्यार्थ प्रकाश*
ब्रह्मा के सप्तपुत्र ऋषियों में अंगिरा ऋषि की पुत्री योगसिद्धा वेदों की मर्मज्ञ थी। उसका विवाह प्रभास ऋषि से हुआ और उनसे विश्वकर्मा जी पैदा हुए। देवों का महान शिल्पी विश्वकर्मा पृथ्वी का प्रथम शिल्पाचार्य था। ब्रह्मा जी को प्रथम विमान बनाकर विश्वकर्मा जी ने दिया।
*तदेष: त्रिदशाचार्य सर्वसिद्धि प्रवर्तक:। सुत: प्रभासस्य विभो: स्वत्रीयश्च बृहस्पते।।*
अर्थ- वह ईश विश्वकर्मा-शिल्पशास्त्र का कर्त्ता एवं समस्त देवों का आचार्य है, आठों प्रकार की ऋद्धि-सिद्धियों का जनक है। प्रभास ऋषि का पुत्र और महर्षि अंगिरा के ज्येष्ठ पुत्र देवगुरु बृहस्पति का भांजा है।
विश्व को प्राचीनतम ग्रन्थ वेदों से ऋषियों द्वारा रचित ज्ञान मिला। महर्षि अंगिरा ने अथर्ववेद की रचना की, जिसका उपवेद अर्थवेद यानि शिल्प शास्त्र है, जिसमें सारे शिल्प- विज्ञान का वर्णन है। इसमें सुई से लेकर विमान निर्माण तक की विद्या का ज्ञान हैं। इसी वंश में ऋषि विश्वकर्मा हुए, जिन्होंने मानव कल्याण और भूमंडल की रचना को शिल्प विज्ञान के आविष्कार किये। वेदों में विश्वकर्मा जी की महिमा के अनेक मंत्र है।
वाल्मीकि रामायण में गुरु वशिष्ठ शिल्प कर्म में लगे शिल्पियों को यज्ञकर्म में व्यस्त बताकर उनकी पूजा का आदेश देते है..
*यज्ञ कर्मसु अव्यग्रा पुरुष शिल्पीस्तथा। तेषामि विशेषण: पूजा कार्य यथा क्रमम:।।*
ऋग्वेद में विश्वकर्मा जी को धरती तथा स्वर्ग का निर्माता कहा है-
*यतो भूमि जनयम विश्वकर्मा विद्याम आर्णात।*
यजुर्वेद में महर्षि दयानंद सरस्वती के भाष्य में कहा गया है-
*विश्व सर्वेकर्म क्रियामाणं यस्य स: विश्वकर्मा।* अर्थात विश्व के सभी कर्म , जिनके अपने किये होते है, ये वही विश्वकर्मा है।
शिल्प-संहिता के 18वें अध्याय में वर्णन है कि मनु के आग्रह पर विश्वकर्मा जी ने दूरदर्शन (दूरबीन)का अविष्कार किया था। संसार में मिस्र के पिरामिड, अजंता की गुफाएं, चीन की दीवार, आगरा का ताजमहल, पीसा की मीनार, वियना के मंदिर आदि के निर्माणकर्ता ऋषि विश्वकर्मा के वंशज है। विश्वकर्मा जी के पांच पुत्र हुए, जो विज्ञानाचार्य थे। मनु, मय, त्वष्ठा, शिल्पी और देवज्ञ। मय नामक शिल्पी ने युधिष्ठिर का महल बनाया था, जिसमें जल की जगह थल तथा थल के स्थान पर जल दृष्टिगोचर होता था। योगिराज श्री कृष्ण का सुदर्शन चक्र, रामायणकालीन पुष्पक विमान, दधीचि की हड्डियों से अमोघ शास्त्र बनाने वाले विश्वकर्मा जी थे।
*त्वष्टास्मे वज्र स्वयं ततक्ष- ऋग्वेद*
श्री राम के लिए समुंद्र पर पुल बांधने वाले नल और नील विश्वकर्मा थे, जो सर्वविदित है।
*कैलाश शिखराकारो त्रिकुट शिखरे स्थिताम। लँकामीक्षस्य वैदेही निर्मितां विश्वकर्मणा।* श्री राम ने कहा- ''हे वैदेही ! विश्वकर्मा जी ने सोने की लंका कितनी सुंदर बनायी, देखो त्रिकुट पर्वत पर ऐसी दिख रही है, मानो कैलाश शिखर के ऊपर बनी हो।''
भाप इंजन का अविष्कारक जेम्सवाट विश्वकर्मा पुत्र था। बिजली बल्ब का अविष्कार बढ़ई के बेटे एडिसन ने किया। फ्रायड लुहार का बेटा था। डायनामाइट के आविष्कारक अल्फ्रेड नोबेल लुहार का कार्य करता था। महान दार्शनिक सुकरात तथा दास प्रथा को खत्म कर अमेरिका का राष्ट्रपति बने अब्राहम लिंकन बढ़ई के घर जन्में थे। आदि शंकराचार्य, शिक्षा ऋषि 'पदम् भूषण'वीतराग स्वामी कल्याणदेव, गीता प्रेस साहित्य के रचयिता पूज्य रामसुख दास जी और क्रांतिकारी व देशभक्त भजनोपदेशक आर्य सन्यासी स्वामी भीष्म, गायत्री परिवार के संस्थापक श्री राम शर्मा आचार्य विश्वकर्मा वंश में जन्मी महान विभूतियां है। विश्वकर्मा समाज मनुर्भवः का पालन करते हुए वैदिक पथ पर चलता रहे। शिल्प विज्ञान एवं चरित्र निर्माण से भारत को गौरवांवित करता रहे। नव पीढ़ी तकनीकी शिक्षा, सदाचार और देशभक्ति का मूलमंत्र जीवन में अपनाये।
*- आचार्य गुरुदत्त आर्य*
*संयोजक, वैदिक संस्कार चेतना अभियान,*
पत्ता: 2047, दक्षिणी सिविल लाइन, संतोष विहार, सरकुलर रोड़, जिला-मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश)
फोन: 0131- 2622665
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